मीठा चंदा
भरे पूरे परिवार की वयोवृद्ध महिला के रूप में जिंदगी गुजार रहीं दादी भगवती देवी यही कोई सत्तर के आस पास की रहीं होंगीं | उनहोंने अधिकांश समय सरकारी सेवारत दादा जी के साथ विभिन्न स्थानों पर रहकर गुजारा है | जब से दादा जी सेवानिवृत्त हुए हैं तब से वे अपने बनवाये घर में एक ही शहर में रह रहीं हैं | सीदी सादी महिला हैं | अधिक पढी लिखी नहीं हैं जो अख़बार या किताबें पढकर समय गुजार सकें | हाँ खडी बोली बोल लेती हैं | टीवी देखना अच्छा नहीं लगता है क्योंकि आजकल टीवी पर जैसे सीन दिखाए जाते हैं वे उन्हें कतई पसंद नहीं हैं | अपने बच्चे बड़े हुए | उनकी पढाई लिखाई पूरी होते देखी | अब शादीसुदा होकर वे भी बाल बच्चेदार होगये हैं | घर में दो दो बहुयें हैं जिन पर दो दो तीन तीन बच्चे भी हैं | पोते पोतियाँ भी बड़े होने लगे हैं | बल्कि एक पोती की अभी शादी हुई है जिसके कारण दोनों बेटे अपने परिवार के साथ आये हुए हैं बरना वैसे तो वे अपने अपने बच्चों के साथ अलग अलग शहरों में ही रहते हैं | घर पर दादाजी के साथ वे अकेले ही रहतीं हैं |
पोती के विदा हुए तीन चार दिन ही बीतें हैं | वे अपने कमरे में बैठीं थीं कि अचानक पोती ने आकर दादी से पूंछा , “ दादी आप हनीमून पर कहाँ गयीं थीं |” यह पोती तीसरी क्लास में पढ़ती है | उसकी कजिन दीदी जिसकी शादी हुई है उसका फोन आया था वह अपने हनीमून पर विदेश जाने की सूचना अपनी मम्मी को दे रही थी | उसी को सुनकर पोती दादी के पास आई है | दादी का उत्तर न मिलने पर पोती ने अपनी बात फिर दोहराई | पर दादी कुछ समझ नहीं पायीं | तभी बड़ी बहू कमरे में किसी काम से आई थी जिसने पोती की बात सुनली थी | उसने दादी को बताया कि अभी प्रियंका का फोन आया था उसने बताया है कि राकेश उसे हनीमून के लिए स्विट्जरलैंड ले जा रहा है | बड़ी बहू ने फोन मिलाकर प्रियंका से दादी की भी बात भी करा दी | प्रियंका ने प्रसन्न होते हुए दादी को बताया कि दादी राकेश बहुत अच्छा है वह उसे हनीमून पर विदेश ले जा रहा है |
पोती व बहू जा चुकीं थीं पर दादी को अभी भी बात पूरी तरह समझ में नहीं आई थी | पोती द्वारा फोन पर अपने पति का नाम लेकर राकेश ले जा रहा है कहना भी उन्हें अटपटा लग रहा था | उन्होंने तो हमेशा दादा जी को सुन्दर के पापा कहकर ही बुलाया था | सुन्दर उनका बड़ा बेटा जो है | बहुओं को भी अपने पतियों का नाम लेते नहीं सुना था | बहुएं “ ये “ कह रहे थे “ वो “ कह रहे थे आदि कहकर ही काम चला लेती थीं | पर आज कल की लडकियों को क्या कहें पल्लै करती हैं | फिर हनीमून तो वे बिलकुल नहीं समझीं थीं | दादी इसी उधेड़बुन में थीं कि उन्हें याद आया कि जब शादी के बाद पहलीबार वे दादा जी साथ आगरा आयीं थीं तो वे ताजमहल पर चमकी दिखाने ले गये थे | चांदनी रात में सफेद संगमरमर से बना ताजमहल देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा था | ताजमहल के सामने पत्थर पर बैठकर दादा जी के साथ फोटू भी खिचवाया था जो सबको बहुत पसंद आया था | पर अब वह फोटू कहाँ चला गया पता नहीं | चमकी के बारे में पूंछने पर दादा जी ने समझाया था कि चांदनी रात यानी मून लाईट में ताजमहल देखने को ही चमकी कहते हैं | तो उन्हें याद आया कि मून का मतलब चंदा और लाईट तो वे रोज अपने कमरे में जलती हुई देखती ही हैं | पर हनी का अर्थ वे अभी भी नहीं समझ पायीं थीं |
तभी उनका पोता जो सातवीं क्लास में पढता था , संयोग से उसी समय कमरे में आया | दादी ने पोते को अपने पास बिठाया और परीक्षा लेने के अंदाज में उससे हनी का अर्थ पूंछ लिया | अब दादी जान गईं थीं कि हनी का मतलब शहद होता है | पर शहद और चंदा का क्या सम्बन्ध यह उलझन अभी भी बनी हुई थी | दादी ने जवानी में चमकी देखी थी उसका सुखद अनुभव अभी भी उनके स्मृति पटल पर विद्यमान था | चांदनी रात में चंदा की रोशनी में ताजमहल के परिसर में दादा जी के साथ घास के मैदान में बैठकर खायी गयी कुल्फी का मधुर स्वाद उनको पुनः स्मरण हो आया था | अब दादी ने अर्थ निकाला कि हनी का मतलब मीठा और हनी मून का मतलब मीठा चंदा ही होना चाहिए | उन्हें लगा यह कोई अनोखी चीज है जिसे वे अपनी जिंदगी में देखने से चूक गयी हैं | तभी तो लोग विदेशों तक में उसे देखने जाते हैं | दादी ने तय किया कि जो गलती हुई है उसे सुधारने के लिए वे दादा जी से बात करेंगीं | दादा जी अभी भी उनकी कोई बात नहीं टालते थे और वे जो चाहतीं थीं वही चीज लाकर दे देते थे | दादा जी को अच्छी खासी पेंसन मिलती थी वे किसी के आश्रित तो थे नहीं |
दादी ने देखा कि दादा जी ड्राइंग रूम में अनुलोम विलोम करने में लगे हैं | यद्यपि योग करते समय दादा जी किसी से बात नहीं करते थे पर दादी की उत्सुकता इतनी अधिकबढ़ चुकी थी कि वे अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकती थीं | इसके आलावा उनको यह भी डर था कि जो बात वह कहना चाह रहीं हैं उसे कहीं भूल न जाएँ क्योंकि आजकल बातों को भूल जाने की बीमारी सी भी उन्हें लग चुकी थी | कमरे में जाते ही उन्होंने कहा , “ सुन्दर के पापा तुमने हमें कभी हनीमून नहीं दिखाया है क्यों न अब कहीं चलकर हनीमून देखलें |” दादा जी पढ़े लिखे थे | वे सब जानते समझते थे | दादी की बात सुनकर उन्हें हंसी आ गयी | उधर देखा कि बगल के कमरे में खडी बड़ी बहू ने दादी की बात सुन ली है और वह अपनी हंसी दबाती सी किचिन में चली गयी है जहां से दोनों बहुओं के हंसाने की आवाज किचिन से आ रही है | दादा जी को अब हंसी के साथ साथ संकोच भी हो रहा था | वे हलकी फुलकी डांट देने के अंदाज में बोले , “ सुन्दर की मम्मी तू क्या कह रही है | इसका अर्थ भी जानती है ‘ | दादी पूरी जानकारी करके आयीं ही थी इसलिए निसंकोच बोलीं , हनीमून माने मीठा चंदा | आप तो मुझे बिलकुल ना समझ ही समझ रहे हो | क्या मैं इतना भी नहीं जानती | हनीमून माने मीठा चंदा |”
अब तक यह बात बहुओं के माध्यम से परिवार के सभी सदस्यों में फ़ैल चुकी थी \ सभी लोग कमरे में इकट्ठे होकर ढहाके लगाकर हंस रहे थे | पर दादी की समझ में नहीं आ रहा था कि मीठा चंदा कहकर उन्होंने ऐसा क्या कह दिया है जिससे सभी लोग उनका मजाक बना रहे हैं |
भरे पूरे परिवार की वयोवृद्ध महिला के रूप में जिंदगी गुजार रहीं दादी भगवती देवी यही कोई सत्तर के आस पास की रहीं होंगीं | उनहोंने अधिकांश समय सरकारी सेवारत दादा जी के साथ विभिन्न स्थानों पर रहकर गुजारा है | जब से दादा जी सेवानिवृत्त हुए हैं तब से वे अपने बनवाये घर में एक ही शहर में रह रहीं हैं | सीदी सादी महिला हैं | अधिक पढी लिखी नहीं हैं जो अख़बार या किताबें पढकर समय गुजार सकें | हाँ खडी बोली बोल लेती हैं | टीवी देखना अच्छा नहीं लगता है क्योंकि आजकल टीवी पर जैसे सीन दिखाए जाते हैं वे उन्हें कतई पसंद नहीं हैं | अपने बच्चे बड़े हुए | उनकी पढाई लिखाई पूरी होते देखी | अब शादीसुदा होकर वे भी बाल बच्चेदार होगये हैं | घर में दो दो बहुयें हैं जिन पर दो दो तीन तीन बच्चे भी हैं | पोते पोतियाँ भी बड़े होने लगे हैं | बल्कि एक पोती की अभी शादी हुई है जिसके कारण दोनों बेटे अपने परिवार के साथ आये हुए हैं बरना वैसे तो वे अपने अपने बच्चों के साथ अलग अलग शहरों में ही रहते हैं | घर पर दादाजी के साथ वे अकेले ही रहतीं हैं |
पोती के विदा हुए तीन चार दिन ही बीतें हैं | वे अपने कमरे में बैठीं थीं कि अचानक पोती ने आकर दादी से पूंछा , “ दादी आप हनीमून पर कहाँ गयीं थीं |” यह पोती तीसरी क्लास में पढ़ती है | उसकी कजिन दीदी जिसकी शादी हुई है उसका फोन आया था वह अपने हनीमून पर विदेश जाने की सूचना अपनी मम्मी को दे रही थी | उसी को सुनकर पोती दादी के पास आई है | दादी का उत्तर न मिलने पर पोती ने अपनी बात फिर दोहराई | पर दादी कुछ समझ नहीं पायीं | तभी बड़ी बहू कमरे में किसी काम से आई थी जिसने पोती की बात सुनली थी | उसने दादी को बताया कि अभी प्रियंका का फोन आया था उसने बताया है कि राकेश उसे हनीमून के लिए स्विट्जरलैंड ले जा रहा है | बड़ी बहू ने फोन मिलाकर प्रियंका से दादी की भी बात भी करा दी | प्रियंका ने प्रसन्न होते हुए दादी को बताया कि दादी राकेश बहुत अच्छा है वह उसे हनीमून पर विदेश ले जा रहा है |
पोती व बहू जा चुकीं थीं पर दादी को अभी भी बात पूरी तरह समझ में नहीं आई थी | पोती द्वारा फोन पर अपने पति का नाम लेकर राकेश ले जा रहा है कहना भी उन्हें अटपटा लग रहा था | उन्होंने तो हमेशा दादा जी को सुन्दर के पापा कहकर ही बुलाया था | सुन्दर उनका बड़ा बेटा जो है | बहुओं को भी अपने पतियों का नाम लेते नहीं सुना था | बहुएं “ ये “ कह रहे थे “ वो “ कह रहे थे आदि कहकर ही काम चला लेती थीं | पर आज कल की लडकियों को क्या कहें पल्लै करती हैं | फिर हनीमून तो वे बिलकुल नहीं समझीं थीं | दादी इसी उधेड़बुन में थीं कि उन्हें याद आया कि जब शादी के बाद पहलीबार वे दादा जी साथ आगरा आयीं थीं तो वे ताजमहल पर चमकी दिखाने ले गये थे | चांदनी रात में सफेद संगमरमर से बना ताजमहल देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा था | ताजमहल के सामने पत्थर पर बैठकर दादा जी के साथ फोटू भी खिचवाया था जो सबको बहुत पसंद आया था | पर अब वह फोटू कहाँ चला गया पता नहीं | चमकी के बारे में पूंछने पर दादा जी ने समझाया था कि चांदनी रात यानी मून लाईट में ताजमहल देखने को ही चमकी कहते हैं | तो उन्हें याद आया कि मून का मतलब चंदा और लाईट तो वे रोज अपने कमरे में जलती हुई देखती ही हैं | पर हनी का अर्थ वे अभी भी नहीं समझ पायीं थीं |
तभी उनका पोता जो सातवीं क्लास में पढता था , संयोग से उसी समय कमरे में आया | दादी ने पोते को अपने पास बिठाया और परीक्षा लेने के अंदाज में उससे हनी का अर्थ पूंछ लिया | अब दादी जान गईं थीं कि हनी का मतलब शहद होता है | पर शहद और चंदा का क्या सम्बन्ध यह उलझन अभी भी बनी हुई थी | दादी ने जवानी में चमकी देखी थी उसका सुखद अनुभव अभी भी उनके स्मृति पटल पर विद्यमान था | चांदनी रात में चंदा की रोशनी में ताजमहल के परिसर में दादा जी के साथ घास के मैदान में बैठकर खायी गयी कुल्फी का मधुर स्वाद उनको पुनः स्मरण हो आया था | अब दादी ने अर्थ निकाला कि हनी का मतलब मीठा और हनी मून का मतलब मीठा चंदा ही होना चाहिए | उन्हें लगा यह कोई अनोखी चीज है जिसे वे अपनी जिंदगी में देखने से चूक गयी हैं | तभी तो लोग विदेशों तक में उसे देखने जाते हैं | दादी ने तय किया कि जो गलती हुई है उसे सुधारने के लिए वे दादा जी से बात करेंगीं | दादा जी अभी भी उनकी कोई बात नहीं टालते थे और वे जो चाहतीं थीं वही चीज लाकर दे देते थे | दादा जी को अच्छी खासी पेंसन मिलती थी वे किसी के आश्रित तो थे नहीं |
दादी ने देखा कि दादा जी ड्राइंग रूम में अनुलोम विलोम करने में लगे हैं | यद्यपि योग करते समय दादा जी किसी से बात नहीं करते थे पर दादी की उत्सुकता इतनी अधिकबढ़ चुकी थी कि वे अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकती थीं | इसके आलावा उनको यह भी डर था कि जो बात वह कहना चाह रहीं हैं उसे कहीं भूल न जाएँ क्योंकि आजकल बातों को भूल जाने की बीमारी सी भी उन्हें लग चुकी थी | कमरे में जाते ही उन्होंने कहा , “ सुन्दर के पापा तुमने हमें कभी हनीमून नहीं दिखाया है क्यों न अब कहीं चलकर हनीमून देखलें |” दादा जी पढ़े लिखे थे | वे सब जानते समझते थे | दादी की बात सुनकर उन्हें हंसी आ गयी | उधर देखा कि बगल के कमरे में खडी बड़ी बहू ने दादी की बात सुन ली है और वह अपनी हंसी दबाती सी किचिन में चली गयी है जहां से दोनों बहुओं के हंसाने की आवाज किचिन से आ रही है | दादा जी को अब हंसी के साथ साथ संकोच भी हो रहा था | वे हलकी फुलकी डांट देने के अंदाज में बोले , “ सुन्दर की मम्मी तू क्या कह रही है | इसका अर्थ भी जानती है ‘ | दादी पूरी जानकारी करके आयीं ही थी इसलिए निसंकोच बोलीं , हनीमून माने मीठा चंदा | आप तो मुझे बिलकुल ना समझ ही समझ रहे हो | क्या मैं इतना भी नहीं जानती | हनीमून माने मीठा चंदा |”
अब तक यह बात बहुओं के माध्यम से परिवार के सभी सदस्यों में फ़ैल चुकी थी \ सभी लोग कमरे में इकट्ठे होकर ढहाके लगाकर हंस रहे थे | पर दादी की समझ में नहीं आ रहा था कि मीठा चंदा कहकर उन्होंने ऐसा क्या कह दिया है जिससे सभी लोग उनका मजाक बना रहे हैं |