Thursday, December 24, 2015

चिकना घड़ा

कहते हैं चिकने घड़े पर पानी नहीं रुकता है । वैसे तो यह एक मुहावरा मात्र है पर जब ये मुहावरा देश की सबसे पुराने राजनीतिक दल पर लागू होता हो तो यह चिंता का विषय बन जाता है । कांग्रेस पार्टी द्वारा सदन नहीं चलने दिया गया और मोदी सरकार को gst जैसे महत्वपूर्ण बिल को जानबूझकर पास नहीं होने दिया गया । कांग्रेस पार्टी एक ओर कहती है कि gst तो उनका ही लाया गया बिल है परंतु अपने निहित स्वार्थ के कारण उसे पास नहीं होने देती । सदन न चलने देने के नित नए बहाने खोजे गए और दोनों सदनों में हंगामा किया गया । प्रिंट मीडिया में रोज संपादकीय लिखकर आलोचना होती रही  , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी तीखी बहस चली पर कांग्रेस पार्टी पर इन सबका कोई असर नहीं हुआ । ऐसा लगता है जैसे पार्टी पर अब किसी आलोचना का कोई प्रभाव नहीं होता है । उसके नेता अंधे बहरे हो गए हैं जिन्हें कोई टीका टिप्पड़ी सुनाई नहीं देती । यह स्थिति लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है ।
                            नेशनल हेराल्ड के मामले में कोर्ट का नोटिस आने के बाद सोनियां और राहुल अपना संतुलन खो बैठे और सीधे सरकार को ही इसके लिए कोसने लगे । इस मुद्दे को लेकर कई दिन तक सदन की कार्यवाही बाधित की गयी  जबकि तथ्य यह है कि इस कोर्ट केस में सरकार या सत्ताधारी पार्टी का कोई हाथ नहीं है । यह केस भी 2013 में दर्ज किया गया था जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी और केस दायर करने वाले सुब्रमंयम स्वामी बीजेपी के सदस्य भी नहीं थे । इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस पार्टी को न तो न्यायपालिका पर विश्वास है और न देश की सर्वोच्च पंचायत सदन पर ही । इससे यह भी पता लगता है कि गांधी परिवार के सामने पूरी पार्टी कितनी नि सहाय है । वस्तुतः कांग्रेस पार्टी गांघी परिवार के चाटुकारों का एक समूह मात्र हो ऐसा प्रतीत होने लगा है ।
अन्य विपक्षी दलों ने भी कांग्रेस पार्टी के गलत कदम का जिस तरह समर्थन किया और देश हित को भी उपेक्षित कर दिया यह देश की जनता के लिए गहन चिंता का विषय है । अब समय आज्ञा है कि संविधान में ऐसी अराजक स्थिति से बाहर निकलने  का कोई समाधान खोजा  जाय ।  इसके लिए राज्य सभा की शक्तियों को सीमित करने पर भी विचार किया जा सकता है क्योंकि जनता द्वारा सीधे चुना गया सदन लोक सभा ही है । ऐसी व्यवस्था की जाय जिससे लोक सभा द्वारा पारित कोई बिल राज्य सभा न रोक पाये । अन्यथा  अराजकता की यही स्थिति बनी रहेगी और देश को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है ।

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