आज मुझे फिर याद आगयी मंदी पोखर सावन की
पानी से भर चुकी धगेली वरखा सन् सत्तावन की
कभी गाँव की तंग गलियों में नंगे पैरों चलने की
ऊंची नीची पगडण्डी पर गिरने और सम्भलने की
लगे कंकड़ी तो रुक जाना चिलम चुराना बाबन की
धर्मपाल शिवदान रमलुआ तेरसिंघ अरु वो सलुआ
यार पुराने याद आ रहे राम प्रताप और वो कलुआ
जग्गो की दुकान परचूनी चक्की राम खिलावन की
गुल्ली डंडा लभे तांचिया कंचों के वे दोनों खेल
बात बात होती थी लड़ाई अगले दिन होता था मेल
रथ का मेला और देवछट नामी चाट महावन की
जुते खेत का खेल कबड्डी ठेका मार सनूने का
पोखर में तैराकी करते हुड़दंग फाग महीने का
याद आगयी बिहारी जी की व्रज की मांटी पावन की
फूल डोल रसियों का दंगल रास मण्डली फत्ते की
सीसे वाली बड़ी लालटिन कुरसी टूटे हत्ते की
बचपन के वे खेल शरारत चुगली रोज लगावन की
पानी से भर चुकी धगेली वरखा सन् सत्तावन की
कभी गाँव की तंग गलियों में नंगे पैरों चलने की
ऊंची नीची पगडण्डी पर गिरने और सम्भलने की
लगे कंकड़ी तो रुक जाना चिलम चुराना बाबन की
धर्मपाल शिवदान रमलुआ तेरसिंघ अरु वो सलुआ
यार पुराने याद आ रहे राम प्रताप और वो कलुआ
जग्गो की दुकान परचूनी चक्की राम खिलावन की
गुल्ली डंडा लभे तांचिया कंचों के वे दोनों खेल
बात बात होती थी लड़ाई अगले दिन होता था मेल
रथ का मेला और देवछट नामी चाट महावन की
जुते खेत का खेल कबड्डी ठेका मार सनूने का
पोखर में तैराकी करते हुड़दंग फाग महीने का
याद आगयी बिहारी जी की व्रज की मांटी पावन की
फूल डोल रसियों का दंगल रास मण्डली फत्ते की
सीसे वाली बड़ी लालटिन कुरसी टूटे हत्ते की
बचपन के वे खेल शरारत चुगली रोज लगावन की
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