Friday, December 18, 2009

नए राज्यों का गठन

दैनिक जागरण में डा महीप सिंह का लेख पढ़ा , जिसमें छोटे राज्यों के सृजन के फायदे बताये गए हैं। मेरे विचार से उनका यह कहना बिल्कुल सही है कि बहुत बड़े राज्यों को प्रसाशनिक दृष्टि से मैनेज करने में कठिनाई होती है। जहाँ एक तरफ़ दस लाख आबादी वाले राज्य है वहां उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को बनाए रखना बुद्धिमानी नही है। छोटे राज्यों में सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है तथा जनता की स्थानीय जरूरतों को समझने में सुविधा होती है। राजस्व का बेहतर निवेश किया जा सकता जिससे विकास की गति तेज करने में मदद मिलती है। राज्य के सभी भागों में समान विकास किया जा सकता है जिससे असमानता को कम किया जा सकता है।

Wednesday, December 16, 2009

exciting क्रिकिटर

वीरेंदर सहवाग द्वारा एक बार फ़िर धमाकेदार परी खेलकर दिखा दिया है किवास्तव में वह बहुत उम्दा खिलाड़ी है। वह कभी रिकार्ड बनानेके लिए नहीं खेलता है ,रिकार्ड तो ख़ुद व ख़ुद बन जाते हैं। भारत की तरफ़ से तिहरे सतकलगाने वाला वह अकेला खिलाड़ी है वह भी एक नहीं दो बार। सबसे तेज २५० बनाने वाला विश्व रिकार्डधारी तथा उसके पञ्च दोहरे शतक सबसे तेज बनाए गए दस शतकों में शामिल हैं। वनडे में केवल औसत की बात करना पूरी तस्बीर नहीं दिखाता है क्योंकि यदि तुक तुक करके बनाए गए रन किसी काम के नहीं होते जबतक कि बहुत कम स्कोर उया बनाना हो। अतः सहवाग की महानता इन सब बात का ध्यान रखते हुए आक्नी चाहिए।

Monday, December 14, 2009

नए राज्यों के गठन की मांग के सम्बन्ध में राजनीति शुरू हो चुकी है। सभी दल अपने अपने राजनीतिक हानि लाभ के अनुसार प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। छोटे राज्यों के गठन से निश्चित रूप से विकास की गति तेज करने में सुविधा होती है। विकास के लिए उपलब्ध धन का उचित विकेंद्रीकरण व विकास की वास्तविक आवश्यकता के अनुसार धन खर्च होता है। उदहारण के लिए उत्तराखंड का विकास जिस गति से होरहा है , उसका हवाला दिया जा सकता है। अतः इस विषय में बिना राजनीतिक हानि लाभ का ध्यान रखते हुए सोचा जाना चाहिए।

Friday, December 11, 2009

नए राज्यों के गठन की मांग

केन्द्र सरकार द्वारा तेलंगाना राज्य की मांग मानकर छोटे राज्यों के गठन की मांग को एक बार फ़िर हवा देदी है। अब हरित प्रदेश, बुंदेलखंड व विदर्भ को नया जिला बनाने की मांग जोर शोर से उठना स्वाभाविक है । मेरे विचार से यदि इन मांगों पर एक साथ गंभीरता से विचार कर लिया जाय तो इसमें कोई बुराई नहीं है। छोटे राज्यों का गठन वहां की जनता के लिए लाभकारी ही रहा है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीस गढ़ और उत्तराँचल राज्यों का बनना उस क्षेत्र की जनता के लिए शुभ रहा है। इन का विकास त्वरित व समग्र हुआ है। अन्य बंधुओं के विचार इस बिन्दु पर आमंत्रित हैं।

Thursday, December 10, 2009

पिछले संदेश में धर्मनिरपेक्षता की बात होरही थी । भारत में आजकल इस शब्द का बिल्कुल उल्टा अर्थ लगाया जारहा है। सही अर्थ में धर्मनिरपेक्षता का मतलब देश के कानून की नजर में सभी धर्म समान माना जाना तथा धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न करना है। परन्तु वोट की राजनीति ने धार्मिक तुष्टीकरण की ऐसी घटक पृथा डालदी है कि वोट मिलने न मिलने को ध्यान में रखकर सभी नीतियां बनाई जारही हैं । बढती जनसँख्या आज की गंभीर समस्या है परन्तु उसपर कोई कार्य इसलिए नहीं किया जारहा है कि उससे एक धर्म विशेष के लोगों के नाराज होने का खतरा है। बहुत सी दकियानूसी परम्पराएँ समाज में ब्याप्त हैं परन्तु उनका विरोध नहीं होरहा क्योंकि वोट छिटकजाने का भय है।

Wednesday, December 9, 2009

राम जन्मभूमि व बाबरी मस्जिद का मुद्दा आजकल फ़िर गरमाया हुआ है लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट में नया कुछ भी नहीं है परन्तु राजनीतिक दल उसे अपने अपने दृष्टिकोण से देख रहे हैं। सही बात कीजाय तो अयोध्या में उस स्थान पर मस्जिद होने न होने का कोई महत्व नहीं है । हिन्दुओं के लिए वह स्थान पौराणिक मान्यता के अनुसार उनके आराध्य राम से जुड़ा हुआ है। अतः वहां राम मन्दिर बनवाने के लिए ख़ुद मुसलमानों को आगे आकर दरियादिली दिखानी चाहिए । वह कोई छुपा हुआ सत्य नहीं है की हिन्दुओं के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों पर पूर्व में कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम शासकों ने तोड़फोड़ की थी । परन्तु वोट की राजनीती ने इस मुद्दे को इतना संवेदनशील बना दिया है कि अब दोनों तबके इसे नाककी लड़ाई मानने लगे है। परन्तु तार्किक दृष्टि से बिना लागलपेट के कहा जाय तो यह हिन्दुओं के साथ अल्पसंख्यक मुसलामानों की ज्यादती है।

Tuesday, December 8, 2009

मंत्री सांसद बाबू अफसर सभी रंग में रंगे हैं
किस किस के गुन दोष परखी सब हमाम में नागे हैं

नैतिकता की बात करें पर दूर दूर नही नैतिकता
येन केन धन अर्जित करते हावी होगी भौतिकता
राजनीति में सत्तालोलुप जनहित हेतु अड़ंगे हैं

सांसद और विधायक निधि क्यों शुरू हुई मतलब समझो
याद करो इतिहास गौर है विकास हित मतलब समझो
नरसिंह राव काल की स्मृति शूत्केस के संगे हैं

Thursday, October 1, 2009

असली धर्म

बापू यही चाहते थे तुम एइसा धर्म बनाओ
सबको हो स्वीकार धर्म जो आज वही अपनाओ

पंडित करले अपनी पूजा पढ़े नमाज नमाजी
सभी उसी मालिक के बन्दे क्या पंडित क्या काजी
अपने कर्मों से शुभ आशीष दोनों ही पजाओ

पूजा पद्धति अलग रहे तो रहती है रहने दो
अल्ला राम मसीह कहे कोई कहता है कहने दो
मन्दिर मस्जिद गुरद्वारे में साझी ज्योति जलाओ

होली तीज दिवाली जिसकी उसे मना लेने दो
ईद मुबारक किस्मस दे यदि आता है आने दो
अपनी खीर खिलाकर उसको उसकी सिमई खाओ

Tuesday, August 4, 2009

Sunday, May 31, 2009

poem

कभी किसी अनाथ के सर पर हाथ रखा होता तुमने
कठिन पथों से गुजरे उनको साथ रखा होता तुमने
बहुत बरी संख्या में प्रायः सोते हैं जो भूखे ही
उन भूखो के लिए कभी तो भात रखा होता तुमन
एक काम heshubh karte

Welcome




In this blog i am going to post some of my own written poems. These excerpts will be based on some touching subjects of society.