Friday, December 18, 2009
नए राज्यों का गठन
दैनिक जागरण में डा महीप सिंह का लेख पढ़ा , जिसमें छोटे राज्यों के सृजन के फायदे बताये गए हैं। मेरे विचार से उनका यह कहना बिल्कुल सही है कि बहुत बड़े राज्यों को प्रसाशनिक दृष्टि से मैनेज करने में कठिनाई होती है। जहाँ एक तरफ़ दस लाख आबादी वाले राज्य है वहां उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को बनाए रखना बुद्धिमानी नही है। छोटे राज्यों में सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है तथा जनता की स्थानीय जरूरतों को समझने में सुविधा होती है। राजस्व का बेहतर निवेश किया जा सकता जिससे विकास की गति तेज करने में मदद मिलती है। राज्य के सभी भागों में समान विकास किया जा सकता है जिससे असमानता को कम किया जा सकता है।
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समाधान इलेक्ट्रॉनिफिकेशन में है। संचार और आईटी के युग में बड़े राज्य को भी बेहतर मैनेज किया जा सकता है - अगर इच्छा शक्ति हो। अन्यथा छोटे और निज सम्पदा युक्त राज्य को चौपट भी किया जा सकता है (झारखण्ड)!
ReplyDeleteबेहतर गवर्नेंस के मुद्दे को छोटे बनाम बड़े राज्य की बहस से टहलाना उचित नहीं है!
बहुत पहले गलती हो चुकी अब भरिए हर्जाना
ReplyDeleteबड़े राज्यों की मांगों का जो आधार है वह ही बेहूदा है तो विकास क्या खाक होगा, सिर्फ़ टुकड़े करने और लकीरे खीचने से कुछ नही होगा बन्धू।
ReplyDeletePandey ji, Sinhaji,aur Misra ji se sahmat hun..
ReplyDeleteChhote tukde kewal dilon me dooriyan late hain!
Mere vicharse rajyon ko vibhajit karne ke banisbat, zile badhana adhik yogy hai, prashasanik,lihaaz se!
ReplyDeleteबेहतर गवर्नेंस के मुद्दे को छोटे बनाम बड़े राज्य की बहस से टहलाना उचित नहीं है
ReplyDeleteज्ञानदत्त ji se sahmat
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कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
ReplyDeleteयूँ लगता है मानो शुभेच्छा का भी सार्टिफिकेट माँगा जा रहा हो ।
बहुत ही आसान तरीका :-
ब्लॉग के डेशबोर्ड पर जाएँ > सेटिंग पर क्लिक करें > कमेंट्स पर क्लिक करें >
शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > यहाँ दो आप्शन होंगे 'यस' और 'नो' बस आप "नो" पर टिक
कर दें >नीचे जाकर सेव सेटिंग्स कर दें !
देखा ***** कितना आसान ***** हो गया !
बेहतर गवर्नेंस के मुद्दे को छोटे बनाम बड़े राज्य की बहस से टहलाना उचित नहीं है
ReplyDeleteज्ञानदत्त ji se sahmat
बेहतर गवर्नेंस के मुद्दे को छोटे बनाम बड़े राज्य की बहस से टहलाना उचित नहीं है । ग्यानदत्त जी से सहमत । आगे क्या नेता कम हैं जो और आकाँक्षायें पाली जायें औ र भ्रश्टाचार के लिये और नये चोर पैदा किये जायें? धन्यवाद्
ReplyDeleteनए राज्यों का गठन..नए समाधानों का सारांश क्या एक छोटा राज्य है॥?? क्या हम आज़ादी के ६२.५ वर्ष बाद भी परतंत्रता की बेड़ियों से स्वयम को पृथक कर पाए हैं॥?? क्या पायेंगे एक राज्य को विभाजित करके॥??
ReplyDeleteहम ऐसा क्यूँ नहीं कर सकते..जो-जो सक्षम हो, स्वयम आगे आयें..देश का..प्रदेश का विकास करें.. क्यूँ हम पूरे देश के हित में ना सोच कर..एक समुदाय के..एक प्रांत के बारे में ही अपना समय नष्ट करते हैं।???
हम एक बड़े राज्य को छोटे की तुलना में समर्थ और सुन्दर बना सकते हैं..ना नए संसाधनों की आवाश्यकता और ना ही अर्थ-व्यवस्था का बंटवारा..
आप योग्य व्यक्तियों को खोजिये..कार्य-भार सोंपिये..परन्तु देश का..भारत माँ के हृद्रय को और छलनी ना करें॥!!
आशा है..हमारे नेता जी..विभिन्न शीर्ष माननीय अफसर इस विषय में मंथन करेंगे और देश को समृद्ध और विशाल बनाये रखेंगे॥!!
ढेरों शुभकामनायों सहित॥
प्रियांकाभिलाषी..!!
हम सब भली भाँति जानते है कि वे कौन है जो छोटे राज्यों का समर्थन करते है और इससे किसे फ़ायदा होगा । अपने देश मे सबकुछ राजनीति से प्रेरित होता है आजकल जो कुछ हो रहा है वह सब यही है ।
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
chalo thik hai.narayan narayan
ReplyDeletechhote rajyon ke gathan se sadhnon ka sabhee jagah samaan roop se upyog hoga is se vikas ka behtar vitran asmaantaa ko ghatayega .abheetaqk jo naye rajya banaaye gaye hain unmen se adhikansh vikas ki dod men aage hain.
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