में एक सरकारी विभाग में अधिकारी के पद पर कार्यरत हूँ .जो सही लगता कह देने की आदत है जिसके कारण अपने उच्चाधिकारियों से सामंजस्य बिठाने में अक्सर कठिनाई आती रही है. कार्य का सही आकलन आजकल नहीं होता है यह मेरा अट्ठाईस साल का अनुभव बताता है.|
आज की स्थिति थोड़ी भिन्न है क्योंकि अब मैं लगभग तेतीस वर्ष की सरकारी सेवा पूर्ण करने के बाद विभाग के वरिष्ठ पद पर कार्यरत हूँ | मेरा अपना अनुभव बताता है की प्यार मुहब्बत और अपने अधीनस्थों की समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक ध्यान देकर उनसे अधिक कार्य कराया जा सकता है |
राजनीती बहुत गंदी चीज है वोट की राजनीति उससे भी गंदी है.
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