Monday, July 20, 2015

                 बहता पानी
कलकल करता बहता पानी कलकल करता समय चले
सर्वनियन्ता  की शक्ति से तेरी जीवन ज्योति जले

फिर भी क्यों मदमत्त हुआ क्यों क्षण भंगुर जीवन तेरा
पुण्यार्जन करले कुछ वन्दे जीवन गुजरे हाथ मले

बहु प्रपंच छल कपट कर रहा भौतिकता में फंसा हुआ
जागेगा जब तक निद्रा से तब तक जीवन शाम ढले

परहित परमारथ शुचिता इनको जीवन में अपनाकर
करे भलाई मानव सेवा तब निकले परिणाम भले

सद्गुण के अपनाने से सुचिता दयालुता आएगी
परमेश्वर देंगे सद्भुद्धि कुविचार न उतरे कभी गले

मन की पवित्रता नैतिकता आती है नित सत्संगति से
अच्छे विचार आजाने का परिणाम  सदा हितकर निकले


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